जबलपुर। प्रभात नगर स्थित प्राथमिक स्कूल में करीब 3 साल पहले कराए गए बोर के हैंडपंप का पानी अब प्रदूषित हो गया है। स्थिति ये है कि अब यह पानी पीने लायक नहीं रह गया है। बस्ती के लोग इसके पानी का उपयोग बाहरी काम के लिए ले रहे हैं और खेतों में लगी बोरिंगों से पीने का पानी लाया जा रहा है। गौरतलब है कि नए वार्ड क्रमांक 72 में प्राथमिक शाला प्रभात नगर में स्थित है। इस स्कूल को माध्यमिक स्तर तक किए जाने का प्रस्ताव है लेकिन यहां बोर किए गए हैंडपंप का पानी प्रदूषित हो गया है। पहली से 5वीं तक यहां 65 बच्चे अध्यनरत् हैं। खास बात ये है कि बच्चों के लिए तैयार किये जाने वाले मध्यान्ह भोजन के लिए इसी का पानी इस्तेमाल किया जा रहा है। बच्चे मध्यान्ह भोजन के बाद इसी का पानी पीने विवश हैं। इस वजह से आए दिन बच्चे पेट दर्द जैसी शिकायतें दर्ज करा रहे हैं।
नाले के कारण पानी हुआ खराब
बताया जाता है कि शहर में स्थित ओमती नाला का अंतिम छोर यहां तक आया है। इस नाले के पानी को साफ कर कठौंदा प्लांट में उपयोग किया जा रहा है लेकिन गंदा पानी कच्चे नाले से बहाया जा रहा है। इस वजह से यहां एकमात्र हैंडपंप का पानी प्रदूषित हो गया है।
560 लोगों की बस्ती
शहर से दूर इस बस्ती में 560 विस्थापितों को बसाया गया है। गरीब तबके के बच्चे इस स्कूल में अध्ययन कर रहे हैं। यहां मुख्य समस्या पेय जल की है। बस्ती के लोग खेतों से जाकर पीने पानी लाते हैं लेकिन स्कूल के बच्चों के लिए हैंडपंप के पानी के अलावा कोई संसाधन नहीं है। बारिश में बनता है तालाब करीब ढाई एकड़ क्षेत्र के प्लाट में शासकीय स्कूल का निर्माण किया गया है। बारिश में सड़क ऊंची होने के कारण स्कूल की दहलीज तक पानी भर जाता है। ऐसे में स्कूली बच्चे स्कूल तक नहीं पहुंच पाते हैं। वहीं बारिश के पानी में हैंडपंप पूरी तरह डूब जाता है।
किसी प्रकार की सुविधा नहीं
नए वार्ड 72 में शामिल प्रभातनगर के रहवासियों ने बताया कि यहां विस्थापित लोगों को बसा दिया गया है लेकिन अभी तक कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई गई है। स्कूल से लगे हुए लोगों के आवास बने हुए हैं। कठौंदा प्लांट से 2 किमी दूर इस क्षेत्र में यदि आगजनी की घटना हो जाए तो दमकल वाहन को पहुंचने में घंटों लग जाएं। इसके अलावा आॅटो या सवारी वाहनों के लिए उन्हें कम से कम 4 किमी पैदल आना पड़ता है।