जबलपुर । शहर के हृदय स्थल माने जाने वाले फुहारा के चारों ओर दुकानें लगना बदस्तूर जारी है। इतना ही नहीं इस चौराहे की चारों रोड पर सुबह से लेकर देर रात तक जमे रहने वाले ठेले और जमीन पर बैठकर दुकान लगाने वाले जिम्मेदारों को नजर नहीं आ रहे हैं। यहां से गुजरने वाले वाहन चालकों को सुबह से लेकर रात तक इन अड़ियल दुकानदारों के कारण जाम का सामना करने पर मजबूर होना पड़ता है। नगर निगम ने 5 साल पहले शहर में रेड,यलो और ग्रीन जोन की घोषणा की है और इसके लिए बाकायदा स्थान भी नियत कर दिए थे। फुहारा क्षेत्र रेड जोन के तहत है मगर यहां पर रेड जोन टीम के कदम शायद ही कभी पड़ते हैं। यहां पर मौजूद पुलिस कर्मी और ननि के बाजार विभाग की वसूली करने वालों की जेबें भरकर ये दुकानदार यहां पर अघोषित पट्टा पा गए लगते हैं।
ये दुकानें लगती हैं
फुहारा व आसपास की सड़कों पर फलों से लेकर खान-पान की दुकानें सजती हैं। रोड पर बैठकर ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली महिलाएं आंवला या मौसमी फल लेकर जम जाती हैं। समस्या इनसे तो बनती ही है साथ ही इनके ग्राहक जब यहीं पर खरीददारी करने लगते हैं तो मुसीबत दोहरी हो जाती है। कई बार इस समस्या से लोग झल्ला कर विवाद भी कर बैठते हैं।
आवारा जानवरों से नहीं मिल पा रही निजात
फुहारा चौक पर आवारा जानवरों से भी निजात नहीं मिल पा रही है। ये जानवर दिन भर आवारा रहते हैं और शाम को इनके पालक इन्हें घर ले जाते हैं। दिन भर ये इस व्यस्त क्षेत्र में धमाचौकड़ी करते रहते हैं। इसी वर्ष की शुरूआत में एक व्यापारी को सांड ने मौत के घाट उतार दिया था। नगर निगम का हांका गैंग भी यहां पर कार्रवाई करने बहुत कम ही नजर आता है।
100 से 200 रुपए रेट
बताया जाता है कि फुहारा के चारों ओर दुकान लगाने के रेट 100से 2 सौ रुपए प्रतिदिन हैं। यह राशि वसूली करने का सिस्टम बेहद गोपनीय होता है। जिन पुलिस वालों की यहां पर ड्यूटी लगती है और बाजार विभाग की दैनिक वसूली करने वाले कर्मचारियों को यह रकम मिलती है। हजारों रुपए रोज की कमाई किसे खराब लगती है,लिहाजा सारा सिलसिला तमाम विरोधों के बावजूद बदस्तूर चलता रहता है।