भोपाल। हबीबगंज से दिल्ली के बीच चलने वाली टी 18 का रैक बनारस जाने के बाद अब यात्रियों को शताब्दी एक्सप्रेस के कंडम हो चुके रैक में ही सफर करना होगा। वर्तमान में शताब्दी के दो रैक दिल्ली से आ रहे हैं। एक रैक की हालत अच्छी है, जबकि दूसरे रैक में कहीं सीटें फटी हैं, तो किसी सीट में टेप लगाकर काम चलाया जा रहा है। बाथरूम में रंगरोगन किया गया है, लेकिन वॉश बेसिन जाम हैं। टॉयलेट भी गंदगी से बजबजा रहे हैं। यहां तक की हाथ धोने के लिए हैंडवॉश और टिशू पेपर तक नहीं हैं। अन्य ट्रेनों से दोगुना किराया लेने के बाद भी यात्रियों को इस ट्रेन में पहले जैसी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। खाने की गुणवत्ता भी गिरी शताब्दी एक्सप्रेस में खाने की गुणवत्ता भी लगातार गिरती जा रही है। शुरुआत में ट्रेन में आईआरसीटीसी द्वारा खाना परोसा जाता था। जब से झांसी स्थित बेस किचन से खाना चढ़ाया जाने लगा, तब से इसकी क्वालिटी में गिरावट आई। यात्री कई बार रोटी कच्ची होने और चावल बासी होने की शिकायत कर चुके हैं।
समय की पाबंद भी नहीं रही
शताब्दी एक्सप्रेस का विस्तार हबीबगंज रेलवे स्टेशन तक करने के बाद यह ट्रेन रात 11.30 बजे तक दिल्ली पहुंचती है। इसके अलावा कई बार पाथ खाली नहीं होने से भी यह लेट हो जाती है। इसकी लेटलतीफी के चलते भी यात्री इससे जाने से कतराने लगे हैं। हालात यह हैं कि कई बार ट्रेन में 200 से ज्यादा चेयरकार सीट खाली रहती हैं।
40 से ज्यादा शिकायतें हर माह
शताब्दी एक्सप्रेस में खाना खराब मिलने, गंदगी सहित प्रति माह 40 से 50 शिकायतें शिकायत पुस्तिका में दर्ज होती हैं। इसके अलावा भोपाल और हबीबगंज स्टेशन मैनेजर के पास दर्ज शिकायतों का आंकड़ा 10 से 15 है। रेलवे बोर्ड की मॉनीटरिंग में चलने वाली इस ट्रेन की लगातार शिकायतें मिलने के बाद भी इसमें कोई खास सुधार नहीं हुआ है। यही नहीं, ट्रेन में खाना परोसने के बाद वेंडर द्वारा टिप्स मांगने की शिकायत पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।