ग्वालियर । भारतीय शास्त्रीय संगीत के अमर गायक तानसेन की याद में आयोजित हो रहे सालाना महोत्सव ‘तानसेन समारोह’ में शुक्रवार सुबह से ही हल्की-हल्की सर्द हवा बह रही थी। राग-मनीषियों ने जब मीठी-मीठी राग-रागनियां छेड़ीं तो सुरों के ऐसे अलाव जले कि रसिक सर्दी का अहसास ही भूल गए। भारतीय शास्त्रीय संगीत के इस सर्वाधिक प्रतिष्ठित पांच दिनी महोत्सव के चौथे दिन प्रात:कालीन सभा में एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां हुईं। तानसेन समाधि परिसर में अस्सी खंबा की बावड़ी की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच से ‘नाद ब्रम्ह’ के शीर्षस्थ साधक सुर सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित कर रहे थे। शुक्रवार को प्रात:कालीन एवं तानसेन समारोह की छठी सभा का आगाज पारंपरिक ढंग से ध्रुपद गायन के साथ हुआ। स्थानीय सारदा नाथ मंदिर संगीत महाविद्यालय के विद्यार्थियों एवं आचार्यों ने राग ‘तोड़ी’ और चौताल में निबद्ध तानसेन रचित ध्रुपद रचना प्रस्तुत की। बंदिश के बोल थे ‘महादेव आदि देव’।
गायकी का सौंदर्य बिखेर गए आईएएस अफसर कशिश मित्तल..
.. ग्वालियर। कशिश मित्तल केवल अच्छे आईएएस अधिकारी भर नहीं हैं, वे नई पीढ़ी के श्रेष्ठ गायकों में भी शुमार होते हैं। संगीत सम्राट तानसेन की याद में आयोजित राष्ट्रीय महोत्सव के मंच से उन्होंने इसे साबित कर दिखाया। भारतीय प्रशासनिक सेवा के वर्ष-2011 बैच के अधिकारी मित्तल आगरा घराने की खयाल गायकी से ताल्लुक रखते हैं। वह वर्तमान में नीति आयोग में पदस्थ हैं। तानसेन समारोह की शुक्रवार की शाम की सभा में दिल्ली से आए जवासाल गायक कशिश मित्तल का खयाल गायन हुआ। उन्होंने ऐसा गाया कि रसिक सुर सरिता में गोते लगाते नजर आए। कशिश मित्तल ने अपने गायन का आगाज उत्तरांग प्रधान राग ‘अड़ाना’ से किया। उन्होंने इस राग में दो बंदिशें पेश कीं। एक ताल में निबद्ध बंदिश के बोल थे ‘साहिब सुल्तान’, जबकि तीन ताल में प्रसिद्ध बंदिश ‘तान कप्तान’ का गायन किया। दोनों ही बंदिशों को गाने में कशिश मित्तल ने जो कमाल दिखाया वो काबिले तारीफ रहा। आगरा घराने की सभी विशेषताएं अपने गायन में समेटे हुए उन्होंने जब राग का विस्तार किया तो सुरों के फूल खिलते चले गए। विलंबित खयाल में लय को बढ़ाते हुए बहलावों की शानदार प्रस्तुति दी। कशिश ने राग अड़ाना में ही द्रुत तीन ताल में तराना की प्रस्तुति दी। इसमें उन्होंने लयकारी का जो कमाल दिखाया वो हतप्रभ करने वाला था। उन्होंने अपने गायन का समापन राग ‘शंकरा’ से किया। इसमें द्रुत एक ताल में बंदिश" शंकर शिव हर हर" पेश की।