ग्वालियर। प्रदेश की सरकार बदलने के बाद नए मुख्यमंत्री कलनाथ द्वारा तीन शहरों के नगर निगम में पिछले चार सालों में शासन की योजना की वित्तीय जानकारी जुटाने के आदेश के बाद। भोपाल से आई टीम ने जैसे ही निगम मुख्यालय पहुंचकर योजनाओं की वित्तीय इर्फोमेशन मांगी तो निगम के अधिकारियों सहित सभी कर्मचारियों में हलचल मच गई। सुबह से लेकर शाम तक चली इस कार्रवाई के बारे में जानकारी देते हुए टीम में शामिल अपर आयुक्त विकास मिश्रा ने बताया कि हम सरकार के आदेश पर वित्तीय जांच पड़ताल करने आए हैं। उन्होंने बताया कि हमने यहां संबंधित अधिकारियों से विभिन्न प्रोजेक्ट की वित्तीय जानकारी मांगी है कि कितना पैसा आया और उसे कहां-कहां खर्च किया गया। इसके लिए हमने विभाग के अधिकारियों को शुक्रवार के साथ-साथ शनिवार की शाम तक का समय दिया है। अगर शनिवार की शाम तक हमें मांगी गई जानकारी नहीं दी गई तो इसकी रिपोर्ट हम आला अधिकारियों को दे देंगे। इस पूरी प्रक्रिया में हम भू-अभिलेख नहीं ले रहे हैं।
एमआईसी बैठक का बनाया बहाना
सीएम कमलनाथ के आदेश पर आई टीम से बचने के लिए नगरनिगम के आला अधिकारियों ने इस टीम के आगे निगम की एमआईसी बैठक का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ लिया। निगम के कमिश्नर सहित अन्य आला अधिकारियों ने इस टीम के सहयोग के लिए अपर आयुक्त आर के श्रीवास्तव एवं लेखा अधीक्षक देवेन्द्र पालिया की ड्यूटी लगा दी।
फंस सकते हैं वित्तीय अनियमित्ताओं में
सूत्रों की माने तो इस जांच में निगम के आला अधिकारी वित्तीय अनियमितताओं में फंस सकते हैं। इस समय शहर में कई हजार करोड़ रुपए की योजनाएं चल रही हैं, जिनमें 736.46 करोड़ रुपए की अमृत योजना में से 250 करोड़ रुपए के कार्य इस योजना के तहत चल रहे हैं। इसी तरह 2200 करोड़ रुपए के स्मार्ट सिटी योजना के तहत इस समय 55 करोड़ रुपए के विकास कार्य चल रहे हैं वहीं 211.44 करोड़ रुपए की पीएमआवास योजना के तहत 30 करोड़ रुपए का पेमेंट किया जा चुका है। कचरा प्रबंधन के लिए 327.4 करोड़ की योजना है। भोपाल से आई टीम में संचालनालय नगरीय एवं विकास विभाग के अपर आयुक्त विकास मिश्रा, अधीक्षण यंत्री सुरेश शेजवार, कनिष्ठ लेखाधिकारी प्रमोद नायक शामिल थे।