नई दिल्ली। फ्रांस से अगले साल सितंबर में पहला राफेल प्लेन हासिल करने के बाद फ्रांस और भारत इसका 1,500 घंटे तक गहन ट्रायल करेंगे। भारत ने इस खास किस्म के ट्रायल के लिए करार में 20 फीसदी से ज्यादा का भुगतान भी किया है। यह वही राफेल विमान सौदा है जिस पर राहुल गांधी और कांग्रेस लगातार केंद्र की मोदी सरकार पर हमला कर रही है। कांग्रेस 2015 में घोषित हुए इस सौदे की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की भी मांग कर रही है। भारतीय वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सितंबर, 2019 में हमें पहला एयरक्रॉμट मिल जाएगा। यह फ्रांस में 1,500 घंटे की टेस्ट μलाइंग के बाद ही भारतीय वायुसेना में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राफेल विमान भारतीय धरती पर भारतीय वायुसेना में पहली बार मई, 2020 में तब शामिल हो पाएगा, जब अंबाला एयरफोर्स बेस पर 4 विमानों वाली पहली खपत यहां पहुंचेगी। अंबाला एयरफोर्स बेस पर इस खास विमान की तैनाती की जाएगी।
फ्रांस देगा 36 राफेल लड़ाकू विमान
पहले भारतीय राफेल विमान का 1,500 घंटे तक ट्रायल किया जाएगा। भारत को अभी वैमानिकी स्तर पर टेस्ट करना है जिसे भारतीय वायुसेना के लिए विशिष्ट रूप से तैयार किया गया है। इससे पहले इसी साल सितंबर में भारतीय वायुसेना की 6 सदस्यीय टीम ने फ्रांस के डासॉल्ट मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट का दौरा किया था। इस दौरान वायुसेना के डिप्टी चीफ एयर मार्शल रघुनाथ नांबियार ने पहली भारतीय राफेल काम्बैट एयरक्रॉμट पर उड़ान भरा था। इसी यूनिट में भारत के लिए राफेल विमान तैयार किए जा रहे हैं। अगले 63 महीनों में फ्रांस 36 राफेल विमान भारत को देगा जिसकी शुरूआत अगले साल सितंबर से होगी। बाकी विमान पहली डिलीवरी के अगले 30 महीनों में देना है। भारत ने फ्रांस के साथ जिन 36 राफेल लड़ाकू विमानों का सौदा किया है उसकी पहली खेप सितंबर 2019 तक आनी है।