जबलपुर। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत विक्टोरिया अस्पताल में बच्चों के इलाज के लिए लाखों की लागत से खोला गया जिला शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र (डीईआईसी) मनमानी का शिकार हो गया है। बच्चों की बीमारी में शीघ्र हस्तक्षेप के नियम को ठेंगा दिखाया जा रहा है। बच्चों में होने वाली बीमारी जैसे कटे होंठ, फटे तालू, तिरछे पैर, हृदय रोग, जन्मजात गूंगे व बहरे, नेत्र रोग, दंत रोग, मानसिक रूप से कमजोर एवं अन्य सभी प्रकार के रोगी बच्चों को एक जगह इलाज मुहैया कराने के लिए विक्टोरिया में डीईआईसी केन्द्र खोला गया है।
ये था मकसद
इसका मकसद हर हाल में बच्चों की बीमारी का तत्काल पता लगाकर उनका इलाज करना है लेकिन जिनको बच्चों के इलाज की जवाबदारी दी गई है वे हमेशा डीईआईसी केन्द्र से गायब रहते हैं। यदि यहां पर इक्का- दुक्का कर्मचारी मिल भी जाते हैं तो बाकी स्टाफ गायब रहता है। ऐसे में पीड़ित बच्चों को इलाज नहीं मिल पाता है।
ये है विशेषज्ञों की स्थिति
बच्चों का इलाज एक जगह आसानी से हो जाए इसलिए शासन द्वारा एक डीईआईसी प्रबंधक, 1 गला, कान, नाक विशेषज्ञ, 1 शिशु रोग विशेषज्ञ, 1 दंत चिकित्सक, 1 सोशल वर्कर, साईक्लॉजिस्ट, नेत्र सहायक, दंत सहायक, 1 जिला समन्वयक आरबीएसके, 1 आडियोलॉजिस्ट एंड स्पीच थेरेपिस्ट और 1 लैब टेक्नीशियन सहित एक दर्जन स्टाफ तैनात किया गया है।
इन बच्चों का होता है इलाज
केन्द्र में 0 से 18 साल तक के बच्चों इलाज होता है। इसमें कटे होंठ एवं फटे तालू के, तिरछे पैर वाले, हृदय रोग के जन्म जात बच्चे, गूंगे बहरे, नेत्र रोग के दंत रोग, मानसिक रूप से कमजोर एवं अन्य सभी प्रकार के रोगी बच्चों का इलाज होता है। लिहाजा यहां पर रोजाना अभिभावक पहुंचते हैं।