जबलपुर। मध्य प्रदेश के बालाघाट जिला के कटंगी इलाके के ग्राम सेलवा निवासी एक व्यक्ति के बेटे का दो साल पहले आकस्मिक निधन हो गया। इस व्यक्ति ने अपने बेटे की स्मृति और प्यार में ऐसा काम किया कि लोग उसकी सराहना कर रहे है। जिस सूखी बंजर श्मशान भूमि में बेटे का अंतिम संस्कार हुआ था। उस भूमि को पिता ने अपने बेटे के प्रेम में हरा भरा कर दिया। श्मशान भूमि में पौधा रोपण करने के बाद पौधों की देखरेख बेटे की तरह की। उसकी नियमित सिंचाई एवं खाद देकर उन्हें दो साल में तैयार कर दिया। जानकारी के अनुसार ग्राम सेलवा निवासी हेमंत विश्वकर्मा उम्र 46 वर्ष के बेटे का दो साल पहले निधन हो गया था। उसके बेटे का अंतिम संस्कार जिस श्मशान भूमि में किया गया था, वह करीब साढ़े 7 एकड़ की है और बंजर हालत में पड़ी थी। हेमंत ने दो साल पहले बेटे की मौत होने के बाद अपने बेटे की प्यार में श्मशान भूमि से भी गलाव हो गया और उसने पेड़-पौधे लगाना शुरू किया। लोगों ने पहले तो यही सोचा कि हेमंत बेटे के निधन होने पर गम में ऐसा कर रहा है और कुछ दिनों बाद उसका ये जुनून खत्म हो जाएगा लेकिन हेमंत को बेटों की तरह पेड़ पौधों से लगाव हो गया। ये कहना है हेमंत का हेमंत का कहना है कि वह पेड़ पौधे बड़े होकर हमारी ही देखभाल करेंगे, जैसे एक बेटा बड़ा होने पर अपने पिता की देख रेख करता है। हेमंत चाय बेचकर अपना गुजर बसर करता है लेकिन वह अपने काम धंधे को छोड़ अब सिर्फ अपने पौधों की देखरेख करता है। कुटिया बनाई श्मशान भूमि में पेड़ पौधों की देख रेख की जरूरत का ध्यान रखने हुए हेमंत ने श्मशान भूमि में कुटिया बना रखी है। मवेशी इसके पौधे न चर ले इसलिए वह रात-दिन वहीं रखता है और दिन में भी देखरेख करता है।