भोपाल । महिलाओं और बालक बालिकाओं के साथ होने वाली आपराधिक घटनाओं की विवेचना के दौरान विशेष सावधानी बरतने और फरियादियों से संवेदनशीलता के साथ बातचीत करने की सलाह विवेचना अधिकारियों को दी गई है। इन गंभीर अपराधों के दौरान किस प्रकार की सूझबूझ और सावधानियां बरतने की जरूरत होती है, इसकी जानकारी विषय विशेषज्ञों ने दी। शुक्रवार को पुलिस कंट्रोल रूम में इस विषय को लेकर एक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए डीआईजी धर्मेंद्र चौधरी ने बताया कि महिलाओं, बालक और बालिकाओं के साथ होने वाली आपराधिक घटनाओं में बेहद संवेदनशीलता बरतने की आवश्यकता होती है। इस दौरान फरियादी विनम्रतापूर्वक बातचीत कर पूरे मामले की जानकारी लेना चाहिए, ताकि फरियादी को अपनी बात कहने में किसी प्रकार की झिझक नहीं हो। इस दौरान एसपी मुख्यालय धर्मवीर सिंह यादव ने विवेचना करने वाले अधिकारियों को पीड़ित के प्रति कर्तव्यों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाने का काम पुलिस का होता है। अगर किसी मामले में वैधानिक कार्रवाई करना समझ में नहीं आए, तो वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन लेना चाहिए।
विषय विशेषज्ञों ने दी राय
कार्यशाला के दौरान साμट स्किल ट्रेनर श्रीमती रश्मि गोलिया ने बच्चों के संवेदनशील मामलों में उचित कार्रवाई के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वहीं, एम्स की डॉ. जयंती यादव दुष्कर्म के मामलों में पीड़ितों का मेडिकल फार्म भरने के दौरान बरती जानी वाली सावधानियों के बारे में बताया। चाइल्ड लाइन डायरेक्टर श्रीमती अर्चन सहाय ने महिलाओं, बच्चों के साथ होने वाली आपराधिक घटनाओं के दौरान आईपीसी और पोस्को एक्ट की धाराओं के बारे में विस्तार से बताया।