इंदौर । एडीजी वरुण कपूर के अंधे कत्लों को सुलझाने के सख्त निर्देश के बाद पुलिस हरकत में आ गई है। तीन दिनों से बाणगंगा पुलिस दो साल से लापता कांग्रेस नेत्री ट्विंकल डागरे के मामले की जांच में जुटी थी। केस में प्रमुख संदेही भाजपा नेता जगदीश करोतिया और उसके बेटों को नजरबंद करने और हिरासत में लेने के बाद पुलिस ने उनके नौकर को थर्ड डिग्री दी तो वह तोते की तरह बोलने लगा। उसकी निशानदेही पर पुलिस की एक टीम अवंतिकानगर पानी की टंकी के पीछे पहुंची। यहां एक फैक्ट्री की दीवार से सटी जमीन पर दिनभर में पांच गहरा और बीस फीट चौड़ा गड्ढा खोदा। हालांकि, पुलिस के हाथ कोई सफलता नहीं लगी। सूचना दी थी कि करोतिया परिवार ने ट्विंकल की हत्या कर उसे यहीं दफनाया था। 16 अक्टूबर, 2016 को फ्रीगंज, मरीमाता निवासी ट्विंकल डागरे लापता हो गई थीं। पिता संजय और मां रीटा ने बाणगंगा थाने पर गुमशुदगी दर्ज कराई थी। तब से लेकर आज तक दोनों भाजपा नेता जगदीश करोतिया और उसके बेटों अजय और विनय पर अगवाकर हत्या करने का संदेह जता रहे हैं। डागरे दंपति कलेक्टोरेट की जनसुनवाई, डीआईजी की जनसुनवाई, सीएम हेल्पलाइन और कोर्ट का दरवाजा तक खटखटा चुके हैं, लेकिन बेटी के लापता होने और हत्या की गुत्थी नहीं सुलझ सकी। कोर्ट के निर्देश पर पुलिस संदेही करोतिया परिवार और संजय डागरे व रीटा का ब्रेन आॅसिलेशन सिग्नेचर टेस्ट भी करा चुकी है। इसमें डागरे दंपति को तो क्लीन चिट भी मिल गई, लेकिन करोतिया परिवार शक के घेरे में है।
नवागत एडीजी के आदेश पर फिर खोली फाइल
तीन दिन पहले एडीजी वरुण कपूर ने अपनी पहली बैठक में सभी मातहत अफसरों को दस वर्षों के अंधे कत्लों को सुलझाने के निर्देश दिए थे। इसी के चलते बाणगंगा टीआई इंद्रमणि पटेल के नेतृत्व में एसआई प्रभा डाबी, एएसआई दिनेश त्रिपाठी सहित दस पुलिसकर्मियों की एक टीम बनाई गई। मंगलवार से ही टीम ने ट्विंकल मामले की फाइल फिर से खोली और संदेहियों से पूछताछ में जुट गई। सूत्र बताते हैं कि दो दिनों तक लगातार पूछताछ और थर्ड डिग्री दिए जाने के बाद जगदीश करोतिया का भवानी नगर में रहने वाला नौकर आखिरकार टूट गया। उसने तोते की तरह बोलते हुए करोतिया परिवार द्वारा ट्विंकल की हत्या करने की बात कही। शव सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र के अवंतिकानगर में पानी की टंकी के पीछे एक फैक्ट्री की दीवार से लगी जमीन के पीछे दफन होना बताया। इससे हरकत में आई पुलिस गुरुवार सुबह एक जेसीबी के साथ लखन को लेकर बताई जगह जा पहुंची। दिनभर में करीब पांच फीट गहरा और बीस फीट गहरा गड्ढा खोद डाला, लेकिन हड्डी का एक टुकड़ा तक नहीं मिला।