इंदौर। ननकूराम के पोते घासीराम को जमीन का मालिकाना दस्तावेज देने में जिला प्रशासन को छह माह लग गए। दो घंटे के काम को 4320 घंटे में भी सरकारी नुमाइंदे पूरा नहीं कर पाए। जिला प्रशासन के पास गांवों की जमीन के नामांकन व बटांकन को लेकर रोजाना कई आवेदन आते हैं, जिन्हें समयसीमा में निराकृत करना होता है। सभी मामले पटवारी हल्के के तहसीलदार सुनते हैं और यथोचित निराकरण कर देते हैं। आमतौर पर अविवादित मामलों को सात दिन में निराकृत कर दिया जाता है, जबकि विवादित मामले के निराकरण में महीनों, सालों लग जाते हैं। तीन माह में 800 प्रकरण लंबित हैं। विवादित मामलों में सालों - आमतौर पर तहसील कार्यालय में विवादित मामले ही सर्वाधिक आते हैं। इनमें बटांकन, सीमांकन, हिस्सेदारी का विवाद रहता है। इस मामले में सभी पक्षों को सुनने में समय लग जाता है। यही कारण है कि मामले के निपटारे में छह माह से तीन साल तक लग जाते हैं।