भोपाल । सार्वजनिक उपक्रमों को लेकर कैग द्वारा विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में चौकाने वाली जानकारी सामने आई है। राज्य सरकार के 72 सार्वजनिक उपक्रमों में से 36 ने तो वर्ष 1990 से आडिट ही नहीं कराया गया, जबकि बीते तीन वर्षों में इन निगम-मंडलों ने सरकार को 5 हजार 625 करोड़ की चपत लगाई है। साथ ही 25 सार्वजनिक उपक्रमों में वर्ष 2016-17 में उनके लाभांश का 37.49 करोड़ रुपए घोषित ही नहीं किया। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में जिन 36 उपक्रमों द्वारा आडिट नहीं कराने का उल्लेख किया है, उसमें गबन और राशि का दुरुपयोग किए जाने की संभावना जताई है। भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक ने सार्वजनिक उपक्रमों की 31 मार्च 2017 की रिपोर्ट गुरुवार को विधानसभा की पटल पर रखी गई है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में अनेक गबड़बड़ियों की तरफ इंगित किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह स्पष्ट नहीं है कि किस आधार पर राज्य शासन ने ऐसे तीन कार्यशील उपक्रम जिनके वर्ष 2014-15 से 2016-17 के लेखे बकाया थे, को वर्ष 2016-17 के दौरान 120.93 करोड़ की बजटीय सहायता और एक अकार्यशील उपक्रम को 75 लाख रुपए की वित्तीय सहायता मुहैया कराई गई। यह भी स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार मप्र राज्य के विभाजन के 17 वर्ष बाद भी 36.98 करोड़ की अंश पूंजी व ऋण वाली छह उपक्रमों की संपत्तियों और देनदारियों का विभाजन मप्र और छत्तीसगढ़ के बीच नहीं हुआ। साथ ही विद्युत वितरण कंपनियां उज्जवल डिस्कॉम आश्वासन योजना (उदय) लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकी। 6270 करोड़ की चपत लगी: कैग रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वाणिज्य कर, उत्पाद शुल्क , वाहन कर , जलकर में घोटाले की बात सामने आई है। जिससे प्रदेश के खजाने पर 6270 करोड़ की चपत लगी है ।
बिजली खरीदी सहित अन्य में 56 करोड़ की हानि
कैग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि 8.39 करोड़ के स्वतंत्र अभियंता शुल्क न वसूले जाने और 12 रियायत ग्राहियों से देरी से हुई वसूली से 4 करोड के ब्याज न लगाए जाने तथा महंगी बिजली की खरीदने की वजह से 27.66 करोड़ का अतिरिक्त व्यय, 6.70 करोड़ के दंडात्मक जल प्रभार का परिहार्य व्यय, जल प्रभार पर 1.66 करोड़ का परिहार्य व्यय और सक्रिय वित्तीय प्रबंधन की कमी से 9.79 करोड़ की ब्याज आय की हानि हुई है।