जबलपुर। नगर निगम ने शहर में लगातार कुछ दिनों तक बल्क में पॉलीथिन जब्ती की कार्रवाई की थी और मुश्किल से एक सप्ताह में ही 28 टन पॉलीथिन की जब्ती की थी। इसके बाद जब्ती की कार्रवाई थमकर रह गई। कार्रवाई रुकने का कारण अमले को स्वच्छ अभियान 2019 में झोंकना कारण है। ननि ने खुद ही 100 टन पॉलीथिन जब्ती का लक्ष्य रखा था जिसे वह भूल गया है। पॉलीथिन को पूरी तरह से प्रतिबंधित किए हुए साल भर से ज्यादा वक्त गुजर चुका है। अब तक छोटी-छोटी दुकानों पर कार्रवाई करते हुए औपचारिकता ही बरती जा रही थी। निगमायुक्त चंद्रमौलि शुक्ला के द्वारा इस मामले में कड़ाई बरती गई तो स्वास्थ्य विभाग ने पॉलीथिन बनाने वाली फैक्ट्रियों पर और थोक का धंधा करने वालों को शिकार बनाया जिसके कारण हμते भर में ही 28 टन पॉलीथिन की जब्ती कर ली गई थी। क्या किया जब्त पॉलीथिन का नगर निगम ने सभी जब्त की गई पॉलीथिन को कठौंदा स्थित कचरे से बिजली बनाने वाले प्लांट तक भेजा और इसे बिजली बनाने वाली भट्टी में झोंकवा दिया गया। इस कार्रवाई को सराहा भी गया। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने शांति धारण कर ली है।
नंबर हैं तय
स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 के लिए साफ-सफाई,कचरा कलेक्शन, अतिक्रमण हटाए जाने से लेकर पॉलीथिन के इस्तेमाल पर रोक लगाए जाने किए जा रहे कामों के लिए नंबर तय हैं। नगर निगम और स्मार्ट सिटी का पूरा ध्यान सड़क से लेकर शौचालयों की सफाई पर ज्यादा है। इस चक्कर में उनक ा ध्यान पॉलीथिन जब्ती से हट गया है। 10 दिसंबर के बाद ननि ने एक भी कार्रवाई पॉलीथिन के खिलाफ नहीं की है। इस अनदेखी से बाजारों में एक बार फिर पॉलीथिन की नई खेप नजर आने लगी है।
7 के खिलाफ कोर्ट केस
नगर निगम ने अमानक पॉलीथिन का बड़ा जखीरा इंडस्ट्रियल एरिया रिछाई की फैक्ट्री से 10 टन, दीक्षितपुरा में 4 डंपर तथा अलग- अलग कहीं 6 टन या इससे कम इस तरह कुल 28 टन पॉलीथिन की जब्ती की थी। इनमें 21 कारोबारियों से जुर्माना वसूला गया था जबकि 7 लोगों के खिलाफ ही प्रकरण बनाकर नगर निगम कोर्ट में पेश किए गए थे।