इंदौर। बोर्ड परीक्षाएं नजदीक आ गई हैं और अगले महीने से 10वीं और 12वीं की प्रैक्टिकल परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी। प्रैक्टिकल परीक्षा यूं तो छात्र की जानकारी को परखने के लिए होती है, लेकिन इसमें हमारे शिक्षा विभाग की लापरवाही इस कदर है कि जो एक्सटर्नल परीक्षा लेने आते हैं, वे छात्र के चेहरे को देखकर नंबर देते हैं। सूत्रों के अनुसार, एक्सटर्नल स्कूल में विषय के शिक्षक से ही पूछ लेते हैं कि कौनसा छात्र अच्छा है। शिक्षक द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर ही प्रैक्टिकल परीक्षा के नंबर निर्धारित किए जाते हैं। एक स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि शिक्षक जिस छात्र का नाम बताता है, उसे 20 से ज्यादा नंबर दिए जाते हैं। उसके बाद आने वाले छात्रों को 16 से ज्यादा नंबर दिए जाते हैं। हालांकि इस बार एमपी बोर्ड ने प्रैक्टिकल परीक्षाओं का पैटर्न बदलकर सीबीएसई की तर्ज पर कर दिया है। अभी तक 75 नंबर का पेपर और 25 नंबर का प्रैक्टिकल होता था, लेकिन इस बार से 70 नंबर का पेपर और 30 नंबर का प्रैक्टिकल होगा। बोर्ड ने प्रैक्टिकल के नंबरों को भी चार भागों में बांट दिया है। इसमें प्रैक्टिकल डायरी, प्रोजेक्ट, वायवा और प्रैक्टिकल के नंबर शामिल हैं। 30 नंबरों को अलग-अलग विषयों में अलग-अलग तरह से विभाजित किया गया है। इस विभाजन के आधार पर ही शिक्षक छात्रों को नंबर देंगे। बिना प्रैक्टिकल वाले विषयों में बनाना होगा प्रोजेक्ट जानकारी के अनुसार अभी तक बिना प्रैक्टिकल वाले विषय का पेपर 100 नंबर का होता था, लेकिन इस बार से बिना प्रैक्टिकल वाले विषय को पेपर 80 नंबर का होगा और इसमें छात्रों को 20 नंबर का प्रोजेक्ट वर्क करना होगा। शिक्षक छात्रों को प्रोजेक्ट का टॉपिक देंगे, जिस पर छात्रों को प्रोजेक्ट बनाना होगा यानी इस बार से हर विषय में छात्रों को प्रैक्टिकल वर्क करना होगा।