भोपाल। जन्म से नेत्रहीन भाई-बहन नीरज व पूनम शर्मा ने जूडो को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है। तीसरी बार नेशनल खेलने वाली पूनम इसके पूर्व न केवल कामनवेल्थ में गोल्ड जीत चुकी है, अपितु विश्व कप में खेल कर अच्छा प्रदर्शन किया है। फैमली के सपोर्ट के कारण दोनों भाई-बहनों को कभी नेत्रहीनता को अपनी कमजोरी नहीं समझा। अब 18 जनवरी गुरुवार से शुरू होने वाली ब्लाइंड नेशनल जूडो चैंपियनशिप में सात साथियों के साथ भाग लेगी। एमएलबी कॉलेज में बीए फाइनल कर रही नेत्रहीन पूनम के पिता पुलिस हैडक्वाटर में हेड कॉस्टेबल हैं। भाई नीरज भी जन्म से ही नेत्रहीन है। पूनम का कहना है कि बचपन से खेलों में विशेष रुचि रखती है। स्कूल में पढ़ाई के दौरान उसने कई खेलों में भाग लिया, लेकिन सिर्फ उसके साथ सहानुभूति ही दिखाई गई, किसी ने आगे बढ़कर प्रोत्साहित नहीं किया। लेकिन, उनके परिवार ने उसका हमेशा साथ दिया। सभी खेलों में जूडो को पसंद करने के पीछे उसने बताया कि यह खेल तो है ही यह हमें साथ ही सेल्फ डिपेंड भी बनाता है।
पूनम अन्य स्टूडेंट को भी देती है ट्रेनिंग
जवाहर बाल भवन में जिला खेल अधिकारी जोशो चाको ने जूडो के गद्दे उपलब्ध कराए हैं। जहां करीब 60 से अधिक स्टूडेंट विभिन्न स्कूल कॉलेजों से आकर ट्रेनिंग ले रहे हैं। पूनम स्वयं प्रशिक्षण लेने के साथ ही अन्य बच्चों को जूडो के दाव पेंच सिखाती है। उसके साथ सै.एहतराम हुसैन जिनकी एक्सीडेंट में आंखें चली गई हैं, वह भी प्रशिक्षण दे रहे हैं।