जबलपुर। जिस तरह उज्जैन में भैरव बाबा को शराब चढ़ाने की प्राचीन काल से परंपरा चली आ रही है। ठीक इसी तरह छिंदवाड़ा जिले के मोहखेड़ विकास खंड के देवगढ़ गांव से सात किमी दूर लिलाही गांव में भोले के मंदिर और संत दादा श्यामलाल मौनी बाबा की समाधि पर गांजे का प्रसाद चढ़ाया जाता है और फिर श्रद्धालुओं को बांटा जाता है। गांजे की खेती करना कानूनी तौर पर अपराध है, लेकिन यहां प्रसाद के लिए मंदिर परिसर में गांजा लगाया जाता है। इस संबंध में गोविंद मादरेकर ने बताया कि समाधि में लीन संत श्यामलाल मौनी बाबा मोहखेड़ के पास सतनूर गांव के रहने वाले थे और यहां आकर बस गए थे। वह चालीस साल तक वह मौन रहे। उन्हीं के प्रताप से लोगों के दुख दूर करते थे। बाबा हमेशा गांजा पीते थे। भगवान को भी वही चढ़ाते और भक्तों को प्रसाद के रूप में देते थे। 60 दशक के पूर्व मौनी बाबा ने समाधि ले ली। तब से गांजा चढ़ाने परपंरा चली आ रही है।
पर्वों पर मंदिर परिसर में लगता है मेला
मंदिर में वैसे तो वर्ष भर भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। मुख्य रूप से मंदिर परिसर में मकर संङ्मीांति, शरद पूर्णिमा, गुरुपूर्णिमा, महाशिवरात्रि व रामनवमीं पर मेला लगता है। इसमें बड़ी संख्या में प्रदेश के अन्य शहरों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं।