भोपाल। रेलवे, ट्रेनों के इंजन में बिजली तैयार कर रहा है। सफेद व हरे इंजनों (डब्ल्यूजी9, डब्ल्यूजी 5) में यह काम हो रहा है। एक अनुमान के मुताबिक एक इंजन से एक हजार यूनिट बिजली तैयार हो रही है। इससे रेलवे का बिजली पर होने वाला खर्च बच रहा है। जानकारी के मुताबिक 40 किमी प्रति घंटे या इससे अधिक की गति से चल रही ट्रेन को रोकने के लिए चालक डायनामिक ब्रेक लगाते हैं तो इंजन में आने वाली बिजली कट जाती है। फिर वही इंजन डायनमो की मदद से बिजली बनाने लगता है। यह बिजली उन्हीं तारों से वापस ग्रिड को चली जाती है। इस व्यवस्था से एक इंजन में जितनी बिजली की खपत होती है, उसका 15 से 20 फीसद वह वापस कर देता है।
शताब्दी, राजधानी जैसी ट्रेनों से हटाए जाएंगे जनरेटर कोच
शताब्दी और राजधानी जैसी एसी ट्रेनों में जनरेटर कोच हटाने की तैयारी रेलवे ने शुरू कर दी है। नई दिल्ली कालका एक्सप्रेस में प्रयोग सफल होने के बाद इस तकनीक को शताब्दी और राजधानी टेÑनों में अपनाया जा रहा है। अफसरों के मुताबिक विद्युतीकृत लाइनों पर इंजन से ही कोचों को बिजली दी जाएगी। इंजनों में कन्वर्टर लगाकर ओवरहेड वायर से बिजली की आपूर्ति कोच में एसी व अन्य जरूरतों को पूरा करेगी। इससे इन ट्रेनों में जनरेटर कार लगाने की जरूरत नहीं होगी।