भोपाल । प्रशासनिक सेटअप के रिक्त पदों को संविदा से भरने के लिए तत्कालीन शिवराज सरकार ने अधिकारियों तथा कर्मचारियों की संविदा नियुक्ति देने के नियम बनाए थे। इसके चलते तत्कालीन सरकार में आधा दर्जन रिटायर आईएएस को संविदा पर रखा भी गया, लेकिन पिछली सरकार द्वारा बनाई गई संविदा नियुक्ति का लाभ कमलनाथ सरकार ने उठा रही है। खासकर सीएम सचिवालय में राजनीतिक व्यक्तियों की नियुक्ति पहली बार की गई है। शिवराज सरकार ने रिटायर्ड आईएएस अफसरों को प्रशासनिक सेटअप के पदों पर अधिकारियों तथा कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए संविदा नीति बनाई थी। इस नीति के बनने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने नियमित पदों पर नियुक्ति करने के आदेश 5 जून 2018 को दिए थे। इन नियमों में संविदा नियुक्ति के तहत नियमित 20 % पदों पर नियुक्ति का प्रावधान किया गया था। साथ ही एक बार आरक्षण का लाभ उठा चुके अधिकारी, कर्मचारियों को आरक्षण का लाभ नहीं दिए जाने का नियम है और रिटायरमेंट के बाद 5 साल तक किसी भी अधिकारी की नियुक्ति संविदा पर की जा सकती है। तत्कालीन सरकार में संविदा पर सबसे पहले जल संसाधन विभाग के ईएनसी के पद पर एमजी चौबे की नियुक्ति की गई। इसके बाद सीएम हाउस में कोमल सिंह और तत्पश्चात रिटायरर्ड आईएएस सतीश मिश्रा को विभागीय जांच आयुक्त बनाते हुए सीएस आॅफिस में अटैच किया गया।
पहले ये रह चुके संविदा पर
तत्कालीन शिवराज सरकार में आईएएस के पद से रिटायर हुए पीएस एसके मिश्रा को यथावत जनंसपर्क विभाग का पीएस बनाने के साथ ही एमडी मप्र माध्यम बनाया गया। इसके अलावा सीएम के ओएसडी के रूप में अरुण भट्ट, आरके माथुर तथा शिवनारायण रूपला की नियुक्ति की गई। वैसे सीएम हाउस में करीब आधा दर्जन कर्मचारियों को भी संविदा पर रखा गया और अधिकांश ने सरकार जाते ही संविदा पदों से विदाई ले ली। कुछ की नियुक्ति तो शिवराज के मुख्यमंत्री रहने तक के लिए की गई थी। कमलनाथ सरकार ने संविदा के पद पर पहले सीएस कार्यालय में पीएस समन्वय के पद पर सतीश मिश्रा की संविदा नियुक्ति की और इसके बाद डीएसपी के पद से वीआरएस ले चुके प्रवीण कक्कड़ को सीएम का ओएसडी बनाया गया। फिर मंगलवार को दो अलग-अलग आदेशों में सीएम के सलाहकार के पद पर आरके मिगलानी और ओएसडी के पद पर कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता को नियुक्त किया गया। इस तरह राजनीतिक पद पर बैठक व्यक्ति को पहली बार सीएम का ओएसडी बनाया गया है।