ग्वालियर। स्मार्ट पार्किंग का काम करने वाली ठेकेदारी फर्म को पार्किंग स्थलों से मात्र 200 मीटर तक वाहन उठाने का अधिकार है, लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदार पूरे शहर से दो-चार पहिया गाड़ियां उठाने घूम- घूम कर अवैध वसूली कर रहा है। अहम बात यह है कि फर्जी रसीद कट्टों से वसूली रकम ठेकेदार की सीधी जेब में जा रही है। शहर में यातायात सुधार के लिए निगम द्वारा 11 जनवरी 2018 को एमआईसी से संकल्प पारित कर ठेकेदारी फर्म डेफोडिल टेक्नोलॉजी प्रा.लि. को शहर में स्मार्ट पार्किंग समाधान के लिए 24 आॅन- आॅफ स्ट्रीट व मल्टीलेवल पार्किंग की स्थापना करने, एलईडी संकेतक स्थापित करने, कंट्रोल सेंटर तैयार करने, स्मार्ट पार्किंग के लिए मोबाइल एप तैयार करने की अनुमति दी थी। लेकिन ठेकेदारी फर्म ने साल भर बीतने के बाद न तो संकेतक लगाए हैं और न कंट्रोल सेंटर की स्थापना व एप बनाने का काम पूरा किया है। हालात यह है कि निगम द्वारा सिटी सेंटर की पार्किंग लेने के बाद अन्य स्थलों पर पार्किंग बनाने का काम भी शुरू नहीं हो पाया है। हालांकि स्मार्ट सिटी से जुड़े अधिकारियों का तर्क है कि ठेकेदारी फर्म को पार्किंग स्थलों के पास 200 मीटर तक वाहन उठाने का अधिकार है। लेकिन पूरे शहर में वे वाहन नहीं उठा सकते । लॉ एंड आॅर्डर के नाम पर तैनात हैं जवान जबरिया वसूली के नाम पर हो रहे खेल में यातायात पुलिस ने भी लॉ एंड आर्डर के नाम पर एक जवान तैनात कर दिया है, जो ठेकेदारी फर्म के जबरिया अवैध वसूली के काम में ताल से ताल मिलाता हुआ नजर आता है और स्मार्ट सिटी कंपनी अधिकारी उसे पुलिस की कार्रवाई बताकर अपना पल्ला बचा लेते हैं।