भोपाल । हजारों गैस पीड़ित बुजुर्गों के नाम मतदाता सूची से गायब होने का मामला सामने आने के बाद जिला निर्वाचन कार्यालय हरकत में आ गया है। जिला निर्वाचन अधिकारी व कलेक्टर सुदाम पी. खाडे ने एसडीएम गोविंदपुरा मुकुल गुप्ता को निर्देशित किया है कि वे गैस पीड़ित बुजुर्गों, विशेषकर विधवा महिलाओं के नामों की जांच कराएं। जिनके पास वोटर कार्ड होने के बाद भी नाम मतदाता सूची से नाम हट गए हैं, उन्हें नए वोटर कार्ड बनाकर दें तथा वोटर सूची में नाम भी जोड़ें। बीएलओ को घर-घर जाकर सर्वे करने या गैस पीड़ित और विधवा कॉलोनी में कैंप लगाने के निर्देश दिए गए हैं। पीपुल्स समाचार पत्र के 12 अप्रैल के अंक में - गैस पीड़ित बुजुर्गों को मृतक मानकर हटा दिया मतदाता सूची से - शीर्षक से खबर प्रकाशित की गई थी। इसमें गैस पीड़ित हजारों बुजुर्गों को मृतक मानकर उनके नामों को मतदाता सूची से हटाने का खुलासा किया था।
मतदाता को ही ठहरा रहे दोषी
बुजुर्ग मतदाताओं के नाम सूची से बीएलओ ने हटवाए, उन्होंने घर- घर जाकर बुजुर्ग मतदाताओं के जीवित होने का सर्वे तक नहीं किया। इसके बाद भी वे मतदाताओं को ही दोषी ठहरा रहे हैं कि 1995 में बने कार्ड को तो उन्हें बदलवा लेना चाहिए था। अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या बुजुर्गों को हर माह जाकर मतदाता सूची में चैक करना होगा कि उनका नाम तो नहीं कट गया है? यदि बुजुर्ग ऐसा करेंगे तो बीएलओ क्या करेगा? घर-घर चले अभियान के तहत क्या बीएलओ लोगों के घर नहीं गए? यदि गए होते तो क्या ऐसे बुजुर्गों के नाम सूची से हट पाते?