इंदौर।भगवान श्रीराम की बाल लीलाओं से हमें श्रेष्ठ संस्कारों का ज्ञान मिलता है। जिस प्रकार श्रीराम अपने माता-पिता की आज्ञा का सदैव पालन करते थे, उसी प्रकार हमें हमारे बच्चों को भी प्रभु श्रीराम के समान संस्कारवान बनने की शिक्षा देना चाहिए। युवा पीढ़ी को प्रतिदिन माता-पिता और गुरुजन को प्रणाम करना चाहिए। उक्त विचार जय मा अम्बे मंदिर समिति द्वारा रोड नंबर 19 नंदा नगर स्थित जय मां अम्बे मंदिर पर आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा में पं. देवकृष्ण शास्त्री ने व्यक्त किए। समिति के जगदीश यादव ने बताया कि कथा में श्रीराम विवाह का सचित्र वर्णन किया गया। भगवान श्रीराम जी ने जैसे ही शिव धनुष को तोड़ा, पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट और जय श्रीराम के जयघोष से गूंज उठा। तदुपरांत धूमधाम से राम-सीता का विवाह संपन्न कराया गया। पं. शास्त्री ने आगे कहा कि ईश्वर एक है, पूरे जगत में अलग-अलग धर्मों ने अपने-अपने बीज मंत्रों को माना है, क्योंकि उसका गूढ़ अर्थ ब्रह्मा, विष्णु, महेश से ही है चाहे राम कहो या गॉड। सभी मंत्रों के उच्चारणों के पहले ऊं का उच्चारण होता है, किंतु राम मंत्र के पहले ऊँ का उच्चारण नहीं होता, क्योंकि प्रभु श्रीराम स्वयं बीज मंत्र है। प्रभु श्रीराम ने संपूर्ण मानव जाति को एक सूत्र में बांधकर राम राज्य की स्थापना की थी। व्यासपीठ की आरती मुख्य अतिथि विधायक रमेश मेंदोला के द्वारा सम्पन्न हुई।
नेत्र शिविर आज
पं. श्री शास्त्री के सान्निध्य में 15 अप्रैल को कथा स्थल पर प्रात: 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक नि:शुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर का आयोजन होगा, जिसमें विशेषज्ञ डॉक्टर द्वारा आंखों की जांच कर उपचार किया जाएगा। समिति ने समस्त नागरिकों से शिविर का लाभ लेने की अपील की है।