भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में नवीन रंगप्रयोगों के प्रदर्शन की साप्ताहिक श्रृंखला 'अभिनयन' में शुक्रवार को यतीन्द्र अत्रे के निर्देशन में नाटक 'सपने हर किसी को नहीं आते' का मंचन संग्रहालय सभागार में हुआ। नाटक की शुरुआत रेडियो पर बज रहे गीत सपने हर किसी को नहीं आते से होती है, जिसमें कुछ युवा अलग- अलग जगह से अपना कॅरियर बनाने के लिए शहर आते हैं। एक साथ एक ही कमरे में रह रहे सात युवाओं में समीर थिएटर आर्टिस्ट है, तो जोगी घर-घर जाकर वाटर प्यूरीफायर बेचने का काम करता है, किन्तु दंगों में मारे गए परिजनों का दु:ख उसके साथ है, वहीं धनी माता-पिता का पुत्र रजत अमेरिका जाना चाहता है, किन्तु ट्रेड सेंटर किसने उड़ाया यह प्रश्न वीजा के लिए साक्षात्कार में उससे बार-बार पूछा जाता है। अभय राजनीति में जाना चाहता है, किन्तु सही मार्गदर्शन न मिल पाने के कारण वह असामाजिक तत्वों की गिरμत में आ जाता है, बाद में कुछ बदमाशों द्वारा उसे गोली मार दी जाती हैे माता-पिता की उम्मीद पर खरा उतरने के लिए सफल इन सबसे बेखबर हो कड़ी मेहनत के साथ आईएएस बनने की तैयारी करता है, किन्तु वह असफल हो जाता है। अंतत: कोई रास्ता न होने के कारण उसी कमरे में आत्महत्या कर लेता है। इरफान शहर में हुए दंगों में अपनी कौम को दोषी बताने के कारण व्यथित होकर घर छोड़कर चला जाता है। वहीं समीर भी श्रेया का प्यार न पाने के कारण स्वयं को असफल मानता है। कबीर एक शालीन व्यक्ति है, जो इस सब के बीच सामांजस्य स्थापित करने का प्रयत्न करता रहता हैे सामाजिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था को लेकर इन नवयुवकों में हमेशा डर सताते रहता है कि वे कभी सफल होंगे ।
नाट्य प्रस्तुति के दौरान मंच पर मुकुल त्रिपाठी, राकेश
नाट्य प्रस्तुति के दौरान मंच पर मुकुल त्रिपाठी, राकेश माझी, उद्भव अत्रे, मुकेश पचौड़े, खुशबू चौबिटकर, भगवत दयाल, रवि अर्जुन, सिमरन, चिरंजीव, अशरफ दीवान, हेमंत, जेपी मिश्रा, प्रभात, कंचन और पूनम आदि ने अपने अभिनय कौशल से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस प्रस्तुति के दौरान प्रकाश परिकल्पना में बालेन्द्र सिंह ने, संगीत में मॉरिस लाजरस ने, संगीत संचालन में तान्या लोकवानी ने, गायन में रोहित फणिश जैन, सृजन श्रीवास्तव, आयुष ईशान और अंशुल चौरे ने, वेशभूषा एवं रूप सज्जा में वंदना अत्रे, अश्मी सिंह, वंदना बहल ने, मंच निर्माण में देवेंद्र शर्मा, राकेश माझी, बगवत दयाल कुशवाह ने सहयोग किया इस नाटक का निर्देशन यतीन्द्र अत्रे ने किया यतीन्द्र अत्रे कई वर्षाें से रंग कर्म के क्षेत्र से जुड़े हैं। यतीन्द्र अत्रे ने कई नाटकों में अभिनय करने के साथ ही साथ कई नाटकों का निर्देशन भी किया है। प्रस्तुति के दौरान कई बार दर्शकों ने कलाकारों का उत्साहवर्धन करतल ध्वनि से किया ।