बर्लिन। अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट की मानें तो भ्रष्टाचार के क्षेत्र में भारत की स्थिति सुधरी है, लेकिन अब भी काफी काम बाकी है। माना जा रहा है कि मोदी सरकार द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाए गए कदमों से इस रैंकिंग में सुधार हुआ है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ग्लोबल करप्शन परसेप्शन इंडेक्स- 2018 के अनुसार 180 देशों की सूची में भ्रष्टाचार के मामले में भारत 78 वें पायदान पर है। वहीं इस सूची में भारत 2017 में 81 वें स्थान पर था। 2011 के बाद पहली बार अमेरिका 20 देशों की सूची में बाहर हो गया है। 2018 में 39 अंकों के साथ चीन 87 वें स्थान पर, 38 अंक के साथ श्रीलंका और इंडोनेशिया 89वें स्थान, 33 अंकों के साथ पाक 117 वें स्थान पर, 28 अंकों के साथ ईरान मैक्सिको और रूस 138 वें स्थान पर, 26 अंकों के साथ बांग्लोदश 149 वें स्थान पर, 16 अंक के साथ अफगानिस्तान 172 स्थान पर, 14 अंकों के साथ उत्तर कोरिया 176 वें स्थान पर है।
डेनमार्क सबसे बेहतर देश
सूचकांक में डेनमार्क को पहली रैंक दी गई है। उसका अंक 88 है। मतलब 180 देशों में डेनमार्क में भ्रष्टाचार सबसे कम है। दूसरे स्थान पर न्यूजीलैंड (87अंक) है। 85 अंकों के साथ चार देश शामिल हैं, जिसमें फिनलैंड, सिंगापुर, स्वीडन, स्विट्जरलैंड शामिल हैं। इस रैंकिंग में नार्वे सातवें स्थान पर है। 82 अंकों के साथ नीदरलैंड आठवें और 81 अंकों के साथ कनाडा नौवें स्थान पर है। 80 अंकों के साथ जर्मनी और ब्रिटेन 11 वें स्थान पर है। 77 अंकों के साथ आस्ट्रेलिया 13 वें स्थान पर है।
भारत को 41 अंक
सूचकांक में हर देश को अंक भी दिए गए हैं। इसमें शून्य अंक को सबसे भ्रष्ट देश के लिए और सौ अंक को भ्रष्टाचार रहित देश के लिए इस्तेमाल किया गया है। भारत को 41 अंक दिए गए हैं। 2017 और 2016 में भारत के 40 अंक थे। 2015 में भारत को 38 अंक दिए गए थे।
सोमालिया सबसे भ्रष्ट
सोमालिया की रैंक 180 है और 10 अंक दिए गए हैं। सोमालिया सबसे भ्रष्ट देश है। उसके बाद 178 रैंक के साथ दक्षिणी सूडान और सीरिया हैं। उसके बाद यमन, उत्तर कोरिया, सूडान, गिनी बिसाऊ, इक्वेटोरियल गिनी, अफगानिस्तान और लीबिया हैं।
पहली बार अमेरिका 20 देशों की सूची में शामिल नहीं
71 अंकों के साथ अमेरिका 22 वें स्थान पर है। शोधकर्ताओं के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका ने चार बिंदुओं को खो दिया और 2011 के बाद पहली बार शीर्ष 20 सबसे कम भ्रष्ट देशों से बाहर कर दिया है, जबकि हंगरी की राजनीति निरंकुशता हावी हो गई है। यदि ऐसी प्रवृत्ति को भी दिखाता है तो यह उस देश में एक गंभीर स्तर पर भ्रष्टाचार की समस्या का संकेत दे रहा है, जिसने वैश्विक स्तर पर इस मुद्दे पर मोर्चा लिया है। यह एक द्विदलीय मुद्दा है, इसके लिए द्विदलीय समाधान की आवश्यकता है। अमेरिका में संस्था के प्रतिनिधि जो रीटर ने कहा कि मुझे ट्रंप प्रशासन को लेकर गंभीर चिंता है, लेकिन भ्रष्टचार वर्षों से एक बढ़ती हुई समस्या है। संगठन ने कहा कि पूर्ण लोकतंत्र ने भ्रष्टाचार सूचकांक पर 75 का औसत अंक हासिल किया, वहीं त्रुटिपूर्ण लोकतंत्रों का औसत 49 और निरंकुश शासनों का औसत 30 रहा। इस इंडेक्स की गणना 13 अलग- अलग डॉटा स्रोतों का उपयोग करके की जाती है जो व्यापारिक लोगों और देश के विशेषज्ञों से सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार की धारणाएं प्रदान करते हैं।