संयुक्त राष्ट्र। नाजियों के अत्याचार और नरसंहार से भागे यहूदियों को शरण देने के लिए भारत की खूब सराहना की गई है। भारत एक ऐसा देश जिसने दुनिया भर में धार्मिक उत्पीड़न से सताये और भागे हुए लोगों के लिए एक शरणस्थली होने की अपनी परंपरा को बरकरार रखा है। संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय नरसंहार स्मृति दिवस पर भारत के इस कदम की सराहना की। बीनई बीरिथ इंटरनेशनल के अध्यक्ष चार्ल्स कौफमैन ने यहां सोमवार को कहा कि भारत एक राष्ट्र की परंपरा पर खरा उतरा, हजारों यहूदियों को सुरक्षा मिली और उनका स्वागत किया गया, जब वे यूरोप में नाजियों द्वारा किए जा रहे नरंसहार से भाग निकले थे।
इंडिया: अ डिस्टेंट हैवन विद द होलोकॉस्ट
चार्ल्स ने यहां इंडिया: अ डिस्टेंट हैवन विद द होलोकॉस्ट विषय पर भारत के संयुक्त राष्ट्र मिशन और बीनई बीरिथ (एक वैश्विक यहूदी सेवा संगठन) द्वारा आयोजित बैठक को संबोधित करने के दौरान यह बात कही। भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा,नरसंहार से भागे शरणार्थियों को शरण देना भारत की यहूदियों का स्वागत करने की परंपरा में था, जो हजारों साल पुरानी है। उन्होंने कहा कि शरण मिलने के बाद यहूदियों ने भारत की कला, संस्कृति और अर्थव्यवस्था में योगदान दिया। अकबरुद्दीन ने कहा कि जब नाजियों ने यूरोप में यहूदियों का नरसंहार शुरू किया, उस समय भारत आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था। फिर भी शरण प्रदान की। भारत में यहूदियों व अल्पसंख्यकों के मामले में विशेषज्ञ व लेखक केनेथ रॉबिंस ने कहा कि यहूदियों समेत कई अन्य लोगों के लिए भारत बेहतर करने में सक्षम रहा है।