मुंबई। जेट एयरवेज की वित्तीय सेहत को लेकर चिंता के बीच नागर विमानन मंत्रालय ने उम्मीद जताई है कि एयरलाइन, रणनीतिक भागीदार एतिहाद और उसके ऋणदाता स्थिति से निपटने के लिए किसी साझा योजना पर सहमत हो जाएंगे। जेट एयरवेज समय पर ऋण भुगतान में असफल रही है। एयरलाइन धन जुटाने के लिये प्रयास कर रही है और इसके लिये वह एतिहाद और ऋणदाताओं के साथ बातचीत कर रही है। प्रस्ताव है कि पूर्ण सेवा प्रदाता विमानन कंपनी जेट एयरवेज में एतिहाद अपनी हिस्सेदारी मौजूदा 24 प्रतिशत से और आगे बढ़ाये। नागर विमानन सचिव आरएन चौबे ने कहा, हमें उम्मीद है कि तीनों- जेट एयरवेज, एतिहाद और ऋणदाता साथ आएंगे और किसी साझा योजना पर फैसला करेंगे। यह पूछे जाने पर कि एतिहाद हमेशा से खुली पेशकश को लेकर छूट मांगती रही है, चौबे ने कहा कि इस मुद्दे पर प्रवर्तकों तथा ऋणदाताओं में विचार हो रहा है। खबरें हैं कि एतिहाद द्वारा जेट एयरवेज में हिस्सेदारी बढ़ाने की स्थिति में उसे खुली पेशकश लानी पड़ सकती है। यदि इस तरह की किसी चीज की जरूरत होती है, तो उन्हें भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से संपर्क करना पड़ेगा और वही इस पर फैसला करेगा। खुली पेशकश से छूट जैसी यदि कोई बात है तो यह जेट एयरवेज, एतिहाद और सेबी के बीच का मामला है। सरकार की इसमें सीधी कोई भूमिका नहीं है। सेबी के नियमों के अनुसार यदि किसी कंपनी की किसी सूचीबद्ध कंपनी में हिस्सेदारी एक निश्चित सीमा को पार कर जाती है तो उसे आम शेयरधारकों के समक्ष खरीदारी के लिये खुली पेशकश लाने की जरूरत होती है।