भोपाल । राइट टू एजुकेशन (आरटीई) के तहत गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के केन्द्र सरकार के सपने को राज्य शिक्षा केन्द्र के अधिकारी पलीता लगा रहे हैं। आरटीई की 25 फीसदी सीटों पर एडमिशन देने वाले प्राइवेट स्कूलों को पिछले तीन वर्षों से आरएसके ने भुगतान नहीं किया है। यह राशि अब लगभग 14 करोड़ तक पहुंच गई है। इसमें वे स्कूल सबसे ज्यादा परेशान हैं, जिन्होंने बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन नहीं कराया है। पुरानी सरकार द्वारा भुगतान नहीं किए जाने से परेशान प्राइवेट स्कूल अब नई सरकार से उम्मीद लगाए हैं। आरएसके को दिया जाता है बजट आरटीई के तहत केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा हर साल आरएसके को बजट दिया जाता है। बावजूद प्रदेश के निजी स्कूल संचालक भुगतान के लिए परेशान हैं। पिछले दिनों निजी स्कूल संचालकों की आपत्ति के बाद कलेक्टर ने स्कूलों को शीघ्र फीस भुगतान करने के निर्देश दिए थे, लेकिन भुगतान की फाइल जिला परियोजना कार्यालय में धूल खा रही है।
आठ साल से लागू है आरटीई
गरीब छात्रों को निजी स्कूलों में नि:शुल्क शिक्षा देने के लिए केन्द्र सरकार ने वर्ष 2009 से आरटीई लागू किया है। प्रदेश में इसके तहत वर्ष 2010 से एडमिशन शुरू हुए थे। इसके तहत सभी निजी स्कूलों को कुल सीटों की 25 फीसदी सीटों पर गरीब छात्रों को एडमिशन देना होता है। इनकी फीस राज्य सरकार स्कूलों को देती है। आरटीई के तहत निजी स्कूलों को अधिकतम 4 हजार 209 रुपए के मान से भुगतान करना होता है। यदि किसी स्कूल की फीस कम है तो फीस के आधार पर भुगतान किया जाता है।