नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में सीमापार से करीब 300 आतंकी घुसपैठ के लिए बैठे हैं। सेना प्रमुख बिपिन रावत ने इसकी जानकारी देते हुए पाकिस्तान को चेतावनी दी है। उन्होंने पाकिस्तान को सख्त हिदायत देते हुए कहा है कि आतंकवाद और वार्ता दोनों एक साथ नहीं हो सकती है, इसलिए बंदूकों को छोड़ो और हिंसा बंद करो। वहीं सेना प्रमुख ने यह भी साफ कर दिया कि सेना में समलैंगिक रिश्तों को इजाजत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि समलैंगिक यौन संबंध के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सेना में लागू नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिए पर्याप्त कानून हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सेना कानून के ऊपर नहीं है। रावत ने कहा, हम सेना में ऐसा नहीं होने देंगे।
वार्ता और आतंकवाद साथ संभव नहीं
जनरल रावत ने कहा कि बातचीत और आतंक एक साथ नहीं चल सकता। यह जम्मू-कश्मीर पर भी लागू होता है। जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर बात करते हुए जनरल रावत ने कहा कि कश्मीर में स्थिति और और सुधारने की जरूरत है। शांति के लिए हम केवल वहां माध्यम है।
नागरिक और आतंकी को पहचानना मुश्किल:
कश्मीर में स्थानीय लोगों पर हुई हिंसा पर पूछे गए सवाल पर जनरल रावत ने कहा, भारतीय सेना जानबूझकर किसी नागरिक को लक्षित नहीं करती है, लेकिन हम जानते हैं कि उसी धरती पर उन्हीं लोगों के बीच कुछ आतंकी भी सक्रिय हैं।
कश्मीर से नहीं की जा सकती तालिबान की तुलना
यह बात जनरल रावत ने राजधानी दिल्ली में आयोजित सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही। कश्मीर मसले पर बड़ा बयान देते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंकवाद और बातचीत एक-साथ संभव नहीं है। रावत ने कहा कि तालिबान मामले की तुलना जम्मू-कश्मीर से बिल्कुल नहीं की जा सकती।
कश्मीर मसले पर तीसरे पक्ष के लिए जगह नहीं
इस बीच सेना प्रमुख ने कश्मीर मुद्दे पर किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप से साफ इन्कार किया है। रावत ने कहा, जम्मू-कश्मीर दो देशों के बीच का द्विपक्षीय मुद्दा है। इसमें तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के लिए कोई जगह नहीं है। हमें अपने नियमों और शर्तों पर बात करनी हैं। हमारे नियम और शर्तें बहुत स्पष्ट हैं।