नई दिल्ली। भारत में एपल आईफोन की बिक्री पहले से काफी कम हो गई है। एक अनुमान के मुताबिक 2017 की तुलना में साल 2018 में आईफोन शिपमेंट में आधे से भी ज्यादा की कमी आई। दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते स्मार्टफोन मार्केट में 2014 के बाद से यह कंपनी का सबसे खराब प्रदर्शन है। इससे एपल की परेशानी और बढ़ गई है, जिससे उसे अपने रेवेन्यू आउटलुक में कटौती करने को मजबूर होना पड़ा है। हांगकांग की कंपनी काउंटरप्वाइंट टेक्नोलॉजी मार्केट रिसर्च के मुताबिक 2018 में एपल का इंडिया शिपमेंट 16 से 17 लाख के बीच रहा। सायबर मीडिया रिसर्च के मुताबिक यह करीब 20 लाख था। हालांकि ये दोनों आंकड़े 2017 के 32 लाख यूनिट्स से कम हैं। एनालिस्ट्स ने बताया कि आईफोन शिपमेंट घटने की वजह यह है कि ये फोन बहुत महंगे हैं। वनप्लस जैसी चीन की कंपनियां आईफोन की एक तिहाई कीमत में उससे बेहतर फीचर्स वाले स्मार्टफोन बेच रही हैं। काउंटरप्वाइंट रिसर्च के रिसर्च डायरेक्टर नील शाह ने बताया कि अक्टूबर से दिसंबर के बीच एपल ने करीब 4,00,000 आईफोन भारत भेजे थे। अगर इसकी तुलना प्रीमियम सेगमेंट के लीडर वनप्लस से करें, तो उसने इस बीच करीब 5,00,000 फोन भारतीय बाजार में उतारे। उन्होंने बताया कि 2017 तक एपल की शिपमेंट में लगातार बढ़ोतरी हो रही थी, लेकिन 2018 में इसके 2014-15 के बराबर रहने का अनुमान है। इससे कंपनी 3 साल पीछे चली गई है, जबकि इस बीच मार्केट का 50 पर्सेंट से ज्यादा विस्तार हुआ है। 2014 की तुलना में 2018 में स्मार्टफोन की बिक्री लगभग दोगुनी हो गई है। 2014 में 8 करोड़ यूनिट्स की बिक्री होती थी, जबकि 2018 में यह बढ़कर 15 करोड़ यूनिट्स हो गई है। काउंटरप्वाइंट के मुताबिक इसकी तुलना में एपल की शिपमेंट आज 16-17 लाख यूनिट्स है, जो 2014 में 15 लाख यूनिट्स थी। एनालिस्ट्स ने बताया कि 2018 में एपल की शिपमेंट में गिरावट के पीछे मार्केट में कड़ा कॉम्पिटिशन और आईफोन के नए मॉडल्स का बहुत महंगा होना है। 1,000 डॉलर से ज्यादा की कीमत वाले इन नए आईफोन की बिक्री बढ़ाने के लिए कंपनी ने ईएमआई स्कीम, जीरो डाउन पेमेंट्स और कैशबैक जैसे कई आॅफर्स दिए, लेकिन इसके बावजूद बहुत कम कस्टमर्स ने इसमें दिलचस्पी दिखाई। एनालिस्ट्स ने बताया कि यहां तक कि आईफोन-8 और 8 प्लस जैसे पुराने मॉडल पर भी इन आॅफर्स से निराशा हाथ लगी।