भोपाल। हमीदिया अस्पताल में कक्ष सेवक के पद पर पदस्थ रहने वाले तीनों कर्मचारियों की मृत्यु के एक साल बाद भी उनके परिवारों के सदस्यों को अनुकंपा नियुक्ति क्यों नहीं दी जा रही है? ये प्रकरण लंबित क्यों पड़े हुए हैं। इसकी जांच कर 13 दिन में तीनों व्यक्तियों को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करें तथा लंबित प्रकरणों का हर हाल में निराकरण करें। यही नहीं इस कार्य में लापरवाही बरतने वाली अधिकारी पर तत्काल कार्रवाई करें। यह निर्देश मंगलवार को कलेक्टर जनसुनवाई ले रहे एडीएम संतोष वर्मा ने हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक को फोन पर दिए। उन्होंने इस संबंध में एक डीओ लेटर (अर्द्ध शासकीय) पत्र भी देर शाम को अधीक्षक को लिखा है तथा 13 दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को भी कहा है। दरअसल, मंगलवार को जनसुनवाई में नरेश लुमारे, महेश कुमार जोशी तथा अमित रैकवार एक साथ हमीदिया अस्पताल में कार्यसेवक के पद पर पदस्थ अपने-अपने पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति न मिलने की शिकायत करने पहुंचे थे। तीनों ने एडीएम को बताया कि पिता की मौत एक साल बाद भी यह स्थिति है। परिवार के आर्थिक हालात ठीक नहीं है। 2005 में पेंशन स्कीम खत्म होने के बाद परिवार को पेंशन तक नहीं मिल रही है। परिवार का भरण पोषण करना तक मुश्किल हो रहा है। तीनों कार्यसेवकों में से दो की मृत्यु दिसंबर 2017 को तथा एक की जनवरी 2018 में अस्पताल में कार्य करने के दौरान हुई थी।
कहा पांचपांच वर्ष में मिलती है अनुकंपा नियुक्ति
मदर इंडिया कॉलोनी निवासी नरेश लुमारे, राम नगर कॉलोनी शाहजहांनाबाद निवासी महेश जोशी तथा महामाई का बाग निवासी अमित रैकवार ने बताया कि तीनों के प्रकरण हमीदिया अस्पताल में अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरण देख रही रेखा चौहान के पास रखे हैं। जब रेखा चौहान से प्रकरणों के निराकरण तथा अनुकंपा नियुक्ति कब मिलेगी, यह पूछा गया, तो उन्होंने पहले तो अनुकंपा नियुक्ति एवं जाति संबंधित नियमों की मांग कर दी। जब हमनें कहा कि यह दस्तावेज हमारे पास कहां से आएंगे, तो उन्होंने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति में पांच-पांच वर्ष लग जाते हैं। इतनी जल्दी काम नहीं होता है। एडीएम ने रेखा चौहान पर भी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।