इंदौर। कलेक्टोरेट में प्रति मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई इस बार निर्धारित समय से एक घंटे अधिक दोपहर 2 बजे तक चली। सुनवाई में चार मनोरोगी बच्चों को लेकर आए एक गैर सरकारी संगठन इंदौर सोसायटी फॉर मेंटली चैलेंज के संजय साठे और रिखब जैन ने कलेक्टर से मांग की कि इस तरह के बच्चों के लिए सिंगल विंडो की व्यवस्था की जाए। जैन और साठे ने बताया कि मानसिक रोगियों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए जाने वाले प्रमाण-पत्रों के लिए अलग- अलग कार्यालयों के चक्कर लगाना पड़ते हैं। कई बार आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति जिसे सबसे अधिक सुविधाओं की जरूरत है, वे शासकीय कार्यालयों के चक्कर लगाकर परेशान होकर पीछा छोड़ देते हैं। इसके लिए एक सिंगल विंडो की व्यवस्था होगी तो इस तरह के बच्चों को परेशानी नहीं होगी। इसके अलावा जनसुनवाई में इलाज के लिए आर्थिक सहायता, नामांकन, सीमांकन, बंटवारा तथा अतिक्रमण हटाने सहित 212 आवेदन आए। कर्मचारी ने की अधिकारी की शिकायत - कलेक्टोरेट की भू-अभिलेख शाखा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके चेनमैन राजेश जोशी ने तात्कालिक प्रभारी अधिकारी बिहारी सिंह की शिकायत करते हुए कहा कि उनके द्वारा बहुत प्रताड़ित किया जाता था, जिसके चलते जोशी ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन कर दिया। परिजन और साथी कर्मचारियों की समझाइश पर 8 दिन बाद आवेदन वापस लिया, लेकिन बिहारीसिंह, कर्मचारी सुभाष नागरकर और राजेश श्रीवास्तव ने आवेदन स्वीकार नहीं कर मुझे सेवानिवृत्त करने की साजिश की। तहसीलों में भी हुई सुनवाई- ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले आवेदकों को जिला प्रशासन मुख्यालय दूर पड़ता है। जनता की सुविधा के लिए पहली बार तहसील कार्यालयों पर भी जनसुनवाई की गई।
निगम की 50 से अधिक शिकायतें
जिला प्रशासन की सुनवाई में नगर निगम संबंधित आवेदन भी लिए गए। इसके लिए कलेक्टर के निर्देश पर एक नगर निगम के अपर आयुक्त भी पूरे समय उपस्थित रहे। सुनवाई में गुमटियां उठा ले जाने, अतिक्रमण हटाने और ड्रेनेज आदि की 50 से अधिक शिकायतें आर्इं।
पहली बार मिली विधिक सहायता
कलेक्टर ने आवेदकों के लिए एक नई सुविधा शुरू की है। कई बार सुनवाई में महिलाएं अपने बच्चों के लिए अथवा घरेलू हिंसा और बुजुर्गों के साथ उनके अपने बच्चों द्वारा छोड़ देने या घर से निकाल देने आदि मामलों में उनके अधिकारों को लेकर एक वकील नियुक्त किया गया है।