नई दिल्ली। वित्त मंत्री पीयूष गोयल और रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक की। वित्त मंत्री ने बैंकों से लघु और मझोले उद्योगों (एमएसएमई), कृषि और आवास क्षेत्र को ज्यादा कर्ज देने को कहा। वहीं, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों से कहा कि वे ज्यादा रूढ़िवादी रवैया अपनाए बिना नियमों का विवेकपूर्ण तरीके से पालन करते हुए कर्ज उपलब्ध कराएं। इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड कोड (आईबीसी) से सरकारी बैंकों को चालू वित्त वर्ष की तीन तिमाहियों में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की उगाही करने में मदद मिली है। गोयल ने भरोसा जताया कि आने वाले दिनों में यह स्थिति बैंकों को अधिक लाभकारी बनाएगी। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के इलाज के लिए अमेरिका जाने के बाद हाल ही में गोयल को वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त जिम्मा सौंपा गया है। गोयल ने बैंकिंग क्षेत्र की वित्तीय हालत को सुधारने के तौर तरीकों पर चर्चा के लिए सरकारी बैंकों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ मुलाकात की। भ्रष्टाचार निरोधक कानून में संशोधन का जिक्र करते हुए गोयल ने कहा कि जो कोई भी गलत काम होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा लेकिन बैंकरों के वास्तविक वाणिज्यिक निर्णयों को कानूनी संरक्षण दिया जाएगा। बैंकों ने विभिन्न मसलों पर रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास से बातचीत की। इसमें बैंकों के परिचालन से जुड़े ऐसे कई तौर-तरीकों पर चर्चा की गई जो उन्हें अधिक क्षमतावान, ग्राहक उन्मुखी और लाभप्रद बनने में मदद कर सकेंगे। इसी के साथ सरकार के वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को पाने के लिए सभी बैंकों को निर्देश भी दिया गया ताकि देश के हर कोने और हर भारतीय तक इसकी पहुंच सुनिश्चित की जा सके। गोयल ने कहा कि सरकार ने बैंकों से किसानों तक सेवाओं की पहुंच बेहतर करने के तरीके ढूंढने के लिए कहा है।
कर्ज देने में मानदंडों का पालन करें बैंक : दास
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) के साथ विचार-विमर्श के दौरान अर्थव्यवस्था के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि मौजूदा समय में बड़े आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने में इनकी खासतौर पर जरूरत है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक बैंकों को मानदंडों का विवेकपूर्ण तरीके से पालन करते हुए ज्यादा रूढ़िवादी सोच अपनाए बिना ऋण देना जारी रखने की जरूरत है।