काठमांडू। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि वैश्विक उत्सर्जन (ग्लोबल वॉर्मिंग) नहीं घटता है तो दुनिया का तीसरा ध्रुव समझे जाने वाले हिमालय ग्लेशियर का दो तिहाई हिस्सा वर्ष 2100 तक पिघल सकता है। हिंदू- कुश हिमालय (एनकेएच) असेसमेंट नामक इस नये अध्ययन के अनुसार यदि ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने वाला पेरिस संधि लक्ष्य हासिल हो जाता है तो भी एक तिहाई हिमनद पिघलेगा ही। एनकेएच क्षेत्र के हिमनद इन पहाड़ों में 25 करोड़ लोगों तथा नदी घाटियों में रहने वाले 1.65 अरब अन्य लोगों के लिए अहम जल स्रोत हैं। ये हिमनद गंगा, सिंधु, येलो, मेकोंग समेत दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण 10 नदियों में जलापूर्ति करते हैं।