भोपाल। राजधानी की 40 फीसदी आबादी की प्यास बुझाने वाली बड़ी झील को नगर निगम खुद गंदा करने पर आमादा है। हाल ये है कि नगर निगम ने ही तालाब किनारे (भेल पंप हाउस के सामने) नया पब्लिक टॉयलेट बना दिया है। इसका सीवेज सीधे बड़े तालाब में मिल रहा है। वहीं तीन साल से बोट क्लब के सामने बने सुलभ कॉम्पलेक्स का सीवेज सीधे तालाब में डाला जा रहा है। इधर, नगर निगम का दावा था कि बायो टॉयलेट से सीवेज नहीं निकलेगा। गौरतलब है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगर निगम द्वारा शहर के मुख्य बाजारों में बायो टॉयलेट लगवाए जा रहे हैं। शुरुआत में शहर के पांच प्रमुख मार्केट में बायो टॉयलेट बनाए जाने हैं। साथ ही बड़े तालाब के किनारे होटल लेक व्यू रंजीत की बगल वाली पार्किंग में बायो टॉयलेट रखा गया है। दरअसल, बोट क्लब पर रोजाना पांच से छह हजार पर्यटक आते हैं। ऐसे में यहां बने सुलभ कॉम्पलेक्स में लोड बढ़ जाता है। सुबह-शाम यहां लोगों की लाइन लगती है। लिहाजा नगर निगम ने लोगों की सहूलियत के मद्देनजर यहां बायो टॉयलेट बनवाया है।
तालाब को बचाने के लिए किए जा सकते हैं ये उपाय
जानकारों का कहना है कि सीवेज को तालाब में मिलने से रोकने के लिए सीवेज को पंपिंग कर श्यामला हिल्स पहाड़ी के ऊपर तक पहुंचाना होगा। जहां से वह सीवेज लाइन में मिलेगा, लेकिन यहां कोई पंपिंग स्टेशन नहीं बनाया यगा है।
छोटी झील किनारे दो टॉयलेट्स
छोटी झील में तलैया, गिन्नोरी, हाथीखाना, प्रोफेसर्स कॉलोनी और जहांगीराबाद का सीवेज सीधे मिलता है। वहीं जहांगीराबाद स्थित जैन मंदिर के पास जोन कार्यालय के बगल में बने सुलभ कॉम्पलेक्स के साथ ही नीलम पार्क में बने पब्लिक टॉयलेट का सीवेज झील में डाला जा रहा है।
रेस्टोरेंट और होटल का सीवेज भी जाता है
तालाब में बड़ी झील लोअर साइड है। यानी आसपास के इलाकों का पानी बहकर सीधे झील की तरफ आता है। ऐसे में यहां बने होटल, रेस्टोरेंट, बोट क्लब में बने टॉयलेट्स का सीवेज सीधे तालाब में जाता है।
नगर निगम का दावा खोखला
नगर निगम के अधिकारियों का दावा है कि बायो टॉयलेट के सेप्टिक टैंक से सीवेज नहीं निकलता है बल्कि सीवेज अपने आप खाद में बदल जाता है। लेकिन हकीकत यह है कि बायो टॉयलेट का सीवेज भी सुलभ कॉम्पलेक्स की तर्ज पर नालियों के जरिए तालाब में डाला जा रहा है।